*मेरी अधूरी किताब*
लिख रहा हूँ हर वो बात जो मेरी किताब में अधूरी है...
वो अधूरी रहे तो बेहतर है..
क्योंकि इसके हर लफ्ज़ पूरे है...
मेरी किताब का पहला पन्ना मै हूँ..
फिर भी मेरी किताब अधूरी है तो बेहतर है..
हर वजूद हर ज़ख्म की चुभन है सीने में...
हर गम हर दर्द खास है मेरे सीने में..
ये बात अधूरी है तो बेहतर है..
हाथ थामकर कह देना..
कि जिंदगी रुकी नही उसके जाने से..
ये बात अधूरी है तो बेहतर है...
टूटे हुए दिल को सहेज लेना तेरा
वो मुझसे आकर लिपट जाना तेरा....
ये बात अधूरी है तो बेहतर है...
रुक रहा हूँ मैं घड़ी घड़ी तेरी चौखट पे..
जैसे दस्तक दे रहा हूं...
ये दस्तक अधूरी है तो बेहतर है...
रास्ते एक से हो चले हैं हमारे
पर मंजिल एक नहीं...ये सफर अधूरा है..
ये सफर अधूरा रहे तो बेहतर है..
शायद ये दस्तूर ही है,
दुनिया का कि मोहब्बत का मुकम्मल ना होना
ही मोहब्बत का मुकम्मल होना है...
ये बात सच है तो..
तो ये बात अधूरी रहे तो बेहतर है...
मेरी किताब के हर पन्ने पर लिखा हर लफ्ज़ सच्चा है...
पाक है वो रिश्ता जिसने हमें जोड़ा है...
पर ये रिश्ता अधूरा है तो बेहतर है...
हा साहब मेरी अधूरी किताब अधूरी है तो बेहतर है...
Swati chourasia
28-Mar-2022 06:52 PM
बहुत ही सुंदर रचना 👌
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Abhinav ji
27-Mar-2022 11:58 PM
Nice
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Gunjan Kamal
27-Mar-2022 11:13 PM
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌🙏🏻
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